000 | 01217nam a22001577a 4500 | ||
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999 |
_c347204 _d347204 |
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003 | 0 | ||
005 | 20221024121104.0 | ||
082 | _aH 891.43 GHI | ||
100 | _aGhildyal, Uma | ||
245 | _aMain nirvaasit nhi | ||
260 |
_aUttrakhand _bCommunication _c2018 |
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300 | _a575 p. | ||
520 | _aराम एवं सीता एक दूसरे के पर्याय हैं। राम का वर्णन यदि करने बैठे तो सीता अपरिहार्य हो जाती है। सीता की उदातता, सौन्दर्य एवं जीवनी शक्ति भी राम के बिना अपूर्ण हो जाती है। इसीलिए जब भी कोई विचारक, लेखक, रचनाकार, इन पर कुछ लिखना चाहता है तो दोनों ही अपनी-अपनी अनिवार्यता के साथ प्रकट हो जाते हैं। इसी प्राकट्य को नाम दिया गया है-"मैं निर्वासिता नहीं"। | ||
650 | _aNirvaasit | ||
942 | _cB |