000 | 03667nam a22001697a 4500 | ||
---|---|---|---|
999 |
_c346913 _d346913 |
||
003 | 0 | ||
005 | 20220830143203.0 | ||
020 | _a9789393768193 | ||
082 |
_aH 891.43371 _bJAY |
||
100 | _aJayshankar | ||
245 | _aSardiyon ka neela akash | ||
260 |
_aNew Delhi _bRajkamal _c2022 |
||
300 | _a199 p. | ||
520 | _aहमारा जीवन घटनाओं की स्थूल शृंखला भर नहीं होता। क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं के मशीनी क्रम के समानांतर मन की भित्ति पर घटित होने वाला एक और जीवन हम जीते रहते हैं। आशा, आकांक्षा, हताशा, पश्चाताप, प्रेम और स्मृतियों का जीवन जिससे हम अपने एकांत में संवाद करते हैं। होने के दायित्व तले दबी हमारे आत्मबोध की एक बाँह जो हमें अपने होने के प्रति सचेत भी रखती है, हमें वापस स्थूल संसार में जाने का हौसला भी देती है, हमें सँभालती भी है। हिंदी में जिन कुछ कहानीकारों ने मनुष्य के आस्तित्विक यथार्थ के इस पक्ष को प्रकाशित किया है उनमें जयशंकर भी शामिल हैं। जयशंकर की कहानियों में मनःस्थितियों के स्ट्रोक्स एक चित्रकथा की सी बिम्बावली बनाते हैं, जिनके बीच से गुज़रते हुए हमें अपना अतीत, बीते हुए वे क्षण जिन्हें रोज़मर्रा की भागदौड़ में हम अनदेखा किए रहते हैं, स्मृति की कौंध में झिलमिलाते दिखने लगते हैं। प्रकृति का सजीव, साँस लेता सुदीर्घ लैंडस्केप, हल्की गर्द की तरह धूप में तैरती उदासी, ज़िन्दगी का ठहराव, दिनों का दोहराव, नासूर की तरह दुखता व्यर्थता बोध और एक सूक्ष्म दुख जो आत्मा के ख़ालीपन से, अस्तित्व की अपूर्णता से उपजता है, उनकी इन कहानियों का भूगोल है। सर्दियों का नीला आकाश जयशंकर का नया कहानी संग्रह है। अपने अलग-अलग परिवेश में अपने-अपने जीवन के अर्थान्वेषण में डूबे इन कहानियों के पात्र हम पाठकों को मनुष्य के रूप में अपनी इयत्ता के प्रति नए सिरे से सजग और संवेदनशील बनाते हैं। | ||
600 | _aPoetry | ||
942 | _cB |