000 | 02462nam a22001817a 4500 | ||
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999 |
_c346874 _d346874 |
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003 | 0 | ||
005 | 20220804153501.0 | ||
020 | _a9789388165402 | ||
082 |
_aUK 954 _bNAU |
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100 | _aNautiyal, Mukesh. | ||
245 | _aKaldi se Kedar | ||
250 | _a1st ed. | ||
260 |
_aDehradun _bSamay Sakshay _c2019 |
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300 | _a117 p. | ||
520 | _a'कालड़ी से केदार' मैंने साल 2013 में लिखनी शुरू की थी। किसी किताब को लिखने में 6 साल की अवधि यकीनन ज्यादा है। इस किताब को पूरा करने में इतना समय इसलिए लग गया कि तथ्यों को मैं न केवल जुटाना चाहता था बल्कि उनसे यथासम्भव साक्षात्कार भी करना चाहता था। 2013 के बाद 2018 में ही दक्षिण भारत की यात्रा संभव हो पाई । अस्तु एक लम्बा समय इस दरम्यान चुक गया। यह इतिहास की किताब नहीं है। ऐतिहासिक तथ्यों का समावेश इसमें है ज़रूर, लेकिन उनको उसी सीमा तक शामिल किया गया है जहां तक वह सन्दर्भों को स्पष्ट करने के लिए जरूरी थे। यह स्पष्ट करना भी यहाँ जरूरी है कि ऐतिहासिक सन्दर्भों को हासिल करने के लिए मैंने अकादमिक स्रोतों के बजाय प्रचलित पत्र-पत्रिकाओं और जानकारों से बातचीत को माध्यम बनाया है। अतः यह संभव है कि कहीं-कहीं इस पुस्तक में दिए गए ऐतिहासिक सन्दर्भ किसी अन्य और अपेक्षाकृत ज्यादा प्रमाणिक स्रोत से कुछ अलग हों। | ||
650 | _aUttarakhand - Travel | ||
942 | _cB |