000 | 03160nam a22001817a 4500 | ||
---|---|---|---|
999 |
_c346754 _d346754 |
||
003 | 0 | ||
005 | 20220621202340.0 | ||
020 | _a9789388893244 | ||
082 | _aH 782.42166 SHA | ||
100 | _aShailendra, Shankar Singh | ||
245 | _aDharti kahe pukar ke | ||
260 |
_aFaridabad _b V. K. Global _c2019 |
||
300 | _a343 p. | ||
520 | _aकथा जगत में जो स्थान प्रेमचंद का है, फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में जो हैसियत सत्यजीत रे की है, गायन के संसार में जो प्रतिष्ठा लता मंगेशकर की है, आलोचना की दुनिया में जो रुतबा रामविलास शर्मा और नामवर सिंह का है, संस्कृत साहित्य में जो सम्मान कालिदास का है, फिल्म गीत लेखन की दुनिया में वही मुकाम गीतकार शैलेन्द्र का है। शेली और पंत को प्रकृति का कवि कहा जाता है, तुलसी और सूरदास को आस्था और भक्ति का, टी एस एलियट और मुक्तिबोध को विचारों का कवि माना जाता है और नागार्जुन को व्यंग्य के प्रतिनिधि कवि के रूप में जाना जाता है। शैलेन्द्र अपनी मिसाल आप हैं। गीत लिखते-लिखते शैलेन्द्र स्वय गीत का पर्याय बन गए हैं। फिल्मों में उनके लिखे गीत लोगगीत की तरह गाए और सुने जाते हैं। इश्क, इंकलाब और इंसानियत के अप्रतिम कवि-गीतकार शैलेन्द्र के जीवन और साहित्य पर आधारित पुस्तक "घरती कहे पुकार के" को साहित्य और सिनेमा के पाठकों की सेवा में प्रस्तुत करते हुए अपार आनंद की अनुभूति हो रही है। इस पुस्तक में 58 कवियों, गीतकारों, आलोचकों, कहानीकारों, शैलेन्द्र जी के रिश्तेदारों के साथ-साथ उनके मित्रों के लेख शामिल किए गए। कुछ लेख "माधुरी", "धर्मयुग" और "पेणु रचनावली" से साभार लिए गए हैं। | ||
650 | _aSongs | ||
700 | _aSingh, Indrajeet (ed.) | ||
942 | _cDB |