000 02230nam a22001937a 4500
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003 0
005 20220606214102.0
020 _a9789386452825
082 _aUK VID
100 _aNautiyal , Vidhyasagar
245 _aVidhyasagar Nautiyal ki pratinidhi kahaniya
250 _a2nd.
260 _aDehradun,
_bSamya sakshay
_c2018.
300 _a180 p.
520 _aविद्यासागर नौटियाल पर्वतीय सरोकारों के सबसे बड़े साहित्यकार हैं। नौटियाल को टिहरी का स्पार्टकस भी कहा जाता है। केवल पर्वतीय जीवन की कहानियां रचकर विश्वविख्यात हो जाने वाले नौटियाल जनसरोकारों को रचने वाले विरले लेखकों में से एक हैं। इस संग्रह में विद्यासागर जी की कुल 17 कहानियां को स्थान दिया गया है। इस संग्रह की कहानियों का चयन व संपादन प्रसिद्ध स्त्री अधिकार कार्यकर्ता व साहित्यकार गीता गैरोला ने किया है। संग्रह में नौटियाल की परी देश की कहानियां, पीपल के पत्ते, घास, मछली जाल, भैंस का कट्या, सोना, खच्चर फगड़ू नहीं होते, फट जा पंचधार, सुच्ची डोर, कुवारीधार बोलेगी, एक बेनाम आदमी की कहानी, फुलियारी, उस चिड़िया के बोल, सन्निपात, आग की लपटें, दूध का स्वाद कथाओं को शामिल किया गया है।
650 _aHindi fiction
700 _aGarola, Geeta (comp.)
942 _cB