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020 _a9789386452276
082 _aH 891.43 PRA
100 _aPrakash, Shyam.
245 _aBargad jo ped nahin
250 _a1st ed.
260 _aDehradun
_bSamay Sakshya
_c2017
300 _a116 p.
520 _aये कविताएँ सन् 1960 से 2010 तक के पचास वर्षों में जिये गये समय को परिभाषित करने का प्रयत्न करती हैं। यहाँ कवि स्वयं को भी निर्ममता से परखता है। अक्सर यह देखा गया है कि अपने समय और समाज की बात करते समय, अधिकांश कवियों की कविताओं में उपदेश और शिकायत का स्वर अधिक उभर आता है। इन कविताओं की यह अन्यतम विशेषता है कि यहाँ 'यह होना चाहिए' की टोन पूर्णतया अनुपस्थित है। न ही कवि को जीवन से बहुत शिकायत है न ही असंतोष का स्वर अधिक मुखर है। इन कविताओं में सहज आत्मीय संवाद है।
942 _cB