000 | 01540nam a22001697a 4500 | ||
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999 |
_c346644 _d346644 |
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003 | 0 | ||
005 | 20220529160809.0 | ||
020 | _a9789386452276 | ||
082 | _aH 891.43 PRA | ||
100 | _aPrakash, Shyam. | ||
245 | _aBargad jo ped nahin | ||
250 | _a1st ed. | ||
260 |
_aDehradun _bSamay Sakshya _c2017 |
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300 | _a116 p. | ||
520 | _aये कविताएँ सन् 1960 से 2010 तक के पचास वर्षों में जिये गये समय को परिभाषित करने का प्रयत्न करती हैं। यहाँ कवि स्वयं को भी निर्ममता से परखता है। अक्सर यह देखा गया है कि अपने समय और समाज की बात करते समय, अधिकांश कवियों की कविताओं में उपदेश और शिकायत का स्वर अधिक उभर आता है। इन कविताओं की यह अन्यतम विशेषता है कि यहाँ 'यह होना चाहिए' की टोन पूर्णतया अनुपस्थित है। न ही कवि को जीवन से बहुत शिकायत है न ही असंतोष का स्वर अधिक मुखर है। इन कविताओं में सहज आत्मीय संवाद है। | ||
942 | _cB |