000 | 00906nam a22001817a 4500 | ||
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999 |
_c346642 _d346642 |
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003 | 0 | ||
005 | 20220529155851.0 | ||
020 | _a9789390743353 | ||
082 | _aH 891.431 KAR | ||
100 | _aKarki, Anil. | ||
245 | _aNadi bhed nahin hoti | ||
250 | _a1st ed. | ||
260 |
_aDehradun _bSamay Sakshya _c2022 |
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300 | _a76 p. | ||
520 | _aअनिल का यह कविता संग्रह अपने शीर्षक 'नदी भीड़ नहीं होती' में ही एहसास दिला देता है कि वह किस जादूगर की तरह पहाड़ों व बिम्बों से खेलने वाला है। प्रेम कविताओं में ठेठ जिंदगी की प्रेम में सराबोर मिठास है। | ||
650 | _aKavita - Poem | ||
942 | _cB |