000 | 02346nam a22001937a 4500 | ||
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_c346589 _d346589 |
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005 | 20220519160217.0 | ||
020 | _a9788192225746 | ||
082 | _aUK 954.51 WIL | ||
100 | _aWilliams, G.R.C. | ||
245 | _aDehradun Ka Itihas | ||
250 | _a1st ed. | ||
260 |
_aChamoli _bUttarakhand Prakashan _c2021 |
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300 | _a373 p. | ||
520 | _aगोलियों की पहली ही बौछार में कलवा मारा गया। मुखिया की मृत्यु पर, अनुयायी घबराने लगे। वे किले के अन्दर को दौड़े और, अपवाद स्वरूप, कुछ अन्यत्र भागने लगे। उनकी तरफ से केवल एक धावा बोला गया, जिसे गोरखों ने तेजी से निष्फल कर दिया। इस सफलता से प्रेरित होकर घेराबन्दी करने वालों ने अचानक हमला किया। किले की दीवार इतनी ऊंची थी कि बिना सीढ़ी के उस पर नहीं चढ़ा जा सकता था। मिस्टर ग्रिंडल के पास कोई तोप नहीं थी, लेकिन सैनिक एक भित्तिपातक बनाने में कामयाब रहे, जिससे विस्फोट कर दरवाजे को तोड़ कर खोल दिया गया। अन्दर घुसते ही भीषण लड़ाई शुरू हो गई। मिस्टर शोरी भी पूरे जोश में थे। वह अग्रिम पंक्ति में कैप्टेन यंग और मिस्टर ग्रिंडल के बगल में लड़ रहे थे। लड़ाई समाप्त होने से पहले चांद उग आया, मिस्टर शोरी के गहरा घाव लगा था लेकिन वे बाल-बाल बच गए थे। | ||
650 | _aHistory - Dehradun | ||
700 | _aThapaliyal, Prakash (tr.) | ||
942 | _cB |