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020 _a9789388789721
082 _aH 954.123 SIN
100 _aSingh, Akhilesh Kumar
245 _aMithila ka Puratatvik Itihaas
260 _aDelhi
_bB. R. Publishing
_c2021
300 _a184 p.
520 _aक्षेत्रीय पुरातात्त्विक इतिहास में मिथिला का पुरातत्त्व, विशेषतः मधुबनी एवं दरभंगा से सम्बद्ध अति महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र के विभिन्न स्थलों से दुर्लभ प्राचीन अवशेष मिले है जो राष्ट्रीय क्षेत्र में भी प्रतिनिधित्व करती है। मुख्यतः बलिराजगढ़, तिलकेश्वर स्थान, कमलादित्य स्थान, मुक्तेश्वर स्थान, पस्टन, राजनगर, अंधराठाढ़ी, घनश्यामपुर पंचोभ, मंगरौनी, आदि से विभिन्न ऐतिहासिक जानकारियां मिली है। कालिदास डीह और विद्यापति धरारी विशेष उल्लेखनीय है जहाँ अनेक ऐतिहासिक साक्ष्य मिले है। इन पुरातात्विक स्थलों से अभिलेख, सिक्के, स्मारक तथा स्थापत्य के अन्यान स्रोत मिले है। देशी एवं विदेशी पुरातत्त्वविदों ने अपने अन्वेषण एवं उत्खनन से स्पष्ट कर दिया है कि महत्वपूर्ण पुरातात्विक संपदा इस क्षेत्र में भरे परे है। हिन्दु धर्म के वैष्णव, शैव, शाक्त, नवग्रह, तथा जैन एवं बौद्ध सम्प्रदाय के अवशेष बहुतायत मिले जो इतिहास लेखन के नये आयाम प्रदान करते हैं। अंग्रेजों के समय से ही विवेच्य क्षेत्र में अतीत की सामग्रियों को उजागर किया जाता रहा है, जो अभी तक प्रासंगिक है। इस दिशा में ग्रियर्सन, विजयकांत मिश्र, डी. आर. पाटिल, सीताराम राय आदि-आदि के कार्य स्तुत्य है। साथ ही एस. एन. सिंह, उपेन्द्र ठाकुर, योगेन्द्र मिश्र, विजय ठाकुर एवं जयदेव मिश्र आदि के कार्य मिथिला के संस्कृति को उजागर करता है। आज भी मिथिला क्षेत्र के पुरावशेष विभिन्न संग्रहालयों में भरे पड़े है। सभी पूर्व कार्यों का अध्ययन कर वर्तमान काल में जो शोध कार्य हुये है उन का अध्ययन कर डॉ. अखिलेश कुमार सिंह ने इस क्षेत्र के पुरावशेषों को इतिहास लेखन के महत्वपूर्ण स्रोत बताया है। पूरे शोध कार्य को लेखक ने सात अध्याय में विभक्त कर नवीनता प्रदान की है। पुरातत्व के छात्रों शोध-प्रज्ञों, शिक्षकों और सामान्य पाठक भी इससे लाभांवित होंगे। पुरातात्त्विक इतिहास में यह पुस्तक नया उपहार है।
650 _aExcavations (archaeology) India Madhubani
942 _cB