000 | 03232nam a22001817a 4500 | ||
---|---|---|---|
999 |
_c346435 _d346435 |
||
003 | 0 | ||
005 | 20220424174737.0 | ||
020 | _a9789390265008 | ||
082 | _aH 346.540134 SIN | ||
100 | _aSingh, Satya | ||
245 | _aBhartiya kanoon me mahilaon ke adhikar | ||
260 |
_aKanpur _bAman Publication _c2020 |
||
300 | _a128 p. | ||
520 | _aसत्या सिंह और कानून का चोली-दामन का साथ रहा है। भारतीय संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में महिलाओं से सम्बन्धित कानूनों की उत्पत्ति पर इस पुस्तक में व्याख्यान अवश्य ही एक उच्च कोटि का शोध है। लेखिका ने भारतीय जन मानस में इस विरोधाभास को इंगित किया है कि एक तरफ जहां भारत में महिलाओं को देवी माना जाता है और उन्हें पूजा जाता है, लेकिन इन सबसे इतर जो ज्यादा जरूरी है वह है उन्हें उनका अधिकार, सुरक्षा, समाज में दर्जा दिलाने का प्रयास, बजाए उनकी पूजा करने के। सत्या सिंह ने अपने पुलिस कार्यकाल में महिलाओं तक कानून की पहुंच बनाने में जमीनी प्रयास किए और वह अभी भी अपने पूरे जोश, उत्साह और मदद की भावना से ओतप्रोत हैं। वह व्यवहार कुशल है, उनकी कानून की विभिन्न धाराओं के प्रयोग पर पकड़ है और, वह अपने संपर्क में आने वालों से एक संबंध सा बना लेती हैं। महिलाओं को अपने कानून के प्रति जागरूक रहने का उन्होंने बीड़ा उठाया हुआ है, और ये पुस्तक उन्हीं प्रयासों की बानगी है। लेखिका ने आपको महिलाओं के उन अधिकारों से रूबरू कराया है, जो महिलाओं को समाज में सुरक्षित और बेहतर जीवन जीने की आजादी देते हैं। मुझे विश्वास है कि पाठक इस पुस्तक के आलोक में कानून की जानकारी रहते हुए महिला सशत्तिफ़करण को संबल देंगे। | ||
650 | _aWomen--Legal status, laws | ||
650 | _aIndia | ||
942 | _cB |