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020 _a9789392228766
082 _aH 891.431 RAY
100 _aRay, Anil
245 _aRamdhari Dinkar Singh
260 _aNoida,
_bSetu prakeshan
_c2021.
300 _a168 p.
520 _aरामधारी सिंह ‘दिनकर’ (1908-1974) उत्तर छायावादी दौर के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण और ओजस्वी साहित्यकार हैं। छायावादी दौर से शुरू कार्य-यात्रा का विकास और प्रेरणाएँ विस्तृत हैं। हिन्दी पाठक समुदाय दिनकर साहित्य के प्रति सम्मान का भाव रखता है। गहन इतिहास-बोध, सांस्कृतिक ऊर्जस्विता और समसामयिक सन्दर्भों की एकसाथ उपस्थिति दिनकर की कविता को एक विशिष्ट पहचान देती है। उनके काव्य-संसार में जहाँ प्रेम-सौन्दर्य के कोमल सुकुमार भावों का सहज उपस्थिति हैं वहीं विद्रोह और आक्रोश की कठोरता भी अपने दमखम के साथ हैं। काव्य-प्रकृति का यही अनूठा मेल दिनकर को ‘अर्धनारीश्वर कवि’ के रूप में प्रतिष्ठित करता है। दिनकर एक श्रेष्ठ गद्यकार भी थे। उनके आलोचनात्मक लेख तथा अन्य वैचारिक निबन्ध उनके सृजन-संसार को एक विस्तृत आयाम देते हैं। ‘संस्कृति के चार अध्याय’ लिखकर दिनकर ने इतिहास-लेखन के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान दिया है। यह पुस्तक दिनकर-साहित्य के सभी पक्षों को उद्घाटित करने का प्रयास करती है।
650 _aRamdhari Singh Dinkar
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