000 | 03517nam a22001697a 4500 | ||
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020 | _a9789389830255 | ||
082 | _aH SHA R | ||
100 | _aSharma, Raju | ||
245 | _aKatl gair iradtan | ||
260 |
_aDelhi _bSetu _c2020 |
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300 | _a349 p. | ||
520 | _aउपन्यास मध्य वर्ग के महत्त्वाकांक्षाओं का परिणाम है, जिसमें उसका होना ही सब कुछ है। उसकी भवता, उसकी सिद्धि, उसकी निरंतर प्रगति ही उसका एकमात्र लक्ष्य है। अब मध्य वर्ग व्यवस्था और सत्ता में अपनी हिस्सेदारी चाहता है। वह परंपरागत मध्य वर्ग की तरह अपनी निष्ठाओं और अपने आदर्शों से चिपका नहीं है। यह भी हत्या का एक रूप है। पर मध्यवर्गीय आदर्श में जो भटकाव हुआ और उसमें जो नयी महत्त्वाकांक्षाएँ उपन्न हुई, उसने समाज की आधारभूत संरचना में बदलाव उत्पन्न किया। एक मूल्य के रूप में या एक हत्या के रूप में यह पूरा उपन्यास इस बदलाव और महत्त्वाकांक्षा को रेखांकित करता है। कांत का एक संवेदनशील से क्रूर व्यक्तित्व में रूपांतरण, पायल और कांत तथा एसपी आदि का अपनी सुविधा के अनुसार गलत तथ्य सही मानना या मुद्दे और सामाजिक के अनुसार आचरण का बदलना- ये इसी कारण हैं। पायल झूठ स्वीकार करने के लिए तैयार बैठी थी, केवल उसे तर्क की बैशाखी चाहिए थी, कांत मुहैया कराता है। इस उपन्यास में उठाये गये विषय और उनके साथ जो ट्रीटमेंट लेखक ने किया है, उसमें लेखक की भाषा बहुत महत्त्वपूर्ण है। भाषा प्रांजल तो है ही, साथ ही वह शहरी कामकाजी मध्य वर्ग की भाषा का जीवंत नमूना है। मध्यवर्गीय चेतना की संप्रेषण योग्य भाषा ही इसकी सबसे बड़ी खूबी है। इसमें उर्दू और अँग्रेज़ी के शब्द आसानी से घुले-मिले हैं। साथ ही घटनाओं की बुनावट भी इसमें बहुत कुशल और सूक्ष्म है। | ||
650 | _aFiction | ||
942 | _cB |