000 02056nam a22001697a 4500
999 _c346353
_d346353
003 0
005 20220419175228.0
020 _a9788195006137
082 _aH CHA A
100 _aChatursen, Acharya
245 _aVayam Raksham :
_bpauraṇika pr̥shṭhabhumi par adharit upanyas
260 _aNew Delhi
_bPunit books
_c2021.
300 _a416 p.
520 _a‘वैशाली की नगरवधू’ लिखकर मैंने हिन्दी उपन्यासों के सम्बन्ध में एक नया मोड़ उपस्थित किया था कि अब हमारे उपन्यास केवल मनोरंजन तथा चरित्र-चित्रण मर की सामग्री नहीं रह जाएंगे। अब यह मेरा नया उपन्यास 'वयं रक्षामः' इस दिशा में अगला कदम है। इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य, अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्मृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देखकर सारे संसार ने अन्तरिक्ष का देवता मान लिया ।। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर-रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमदा हूँ। इस उपन्यास में मेरे जीवन-मर का सार है.
650 _aFiction
942 _cB