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082 _aH 891.43371 JOS
_bV. 1
100 _aJoshi, Himanshu
245 _aSampurna Upanyas
260 _aNew Delhi
_bKitab ghar
_c2019
300 _a440 p.
520 _aस्वातंत्र्योत्तर उपन्यासकारों में हिमांशु जोशी की गणना उन रचनाकारों में होती है जो विश्व स्तर पर न सिर्फ सराहे गए हैं, उनके उपन्यासों के अनुवाद भी अनेक देशी-विदेशी भाषाओं में खूब हुए हैं। वह देश के प्रतिष्ठित लोकप्रिय उपन्यासकार तो हैं ही, अनेक विश्वविद्यालयों में उनके उपन्यास पाठ्यक्रम में भी शामिल हैं। संपूर्ण उपन्यास : हिमांशु जोशी का संपादन दो भागों में चर्चित कथाकार और आलोचक महेश दर्पण ने किया है। उन्होंने सन् 1965 में प्रकाशित हिमांशु जोशी के पहले उपन्यास से लेकर सन् 1980 में प्रकाशित तीन लघु उपन्यासों तक की रचनाओं को दो खंडों में विभाजित किया है। पहले खंड में 'अरण्य', ‘महासागर, 'छाया मत छूना मन' और 'कगार की आग' को एक साथ प्रस्तुत किया गया है। दूसरा खंड पांच उपन्यास लिए है-'समय साक्षी है, 'तुम्हारे लिए', 'सुराज ', 'अंधेरा और’ तथा ‘कांछा'। यह कहना अनिवार्य है कि ‘संपूर्ण उपन्यास : हिमांशु जोशी' पढ़ते हुए पाठक आज़ादी के बाद के भारत की धड़कती हुई। तसवीर से साक्षात्कार कर सकेंगे। भारतीय कथा-प्रेमियों, शोधार्थियों और नई पीढ़ी के सजग पाठकों के लिए तो यह एक अनुपम धरोहर है ही, विदेशी अध्येताओं के लिए भी संग्रहणीय है।
650 _aJoshi, Himansu 1935-
942 _cB