000 | 01531nam a22001937a 4500 | ||
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999 |
_c346252 _d346252 |
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003 | 0 | ||
005 | 20220408194233.0 | ||
020 | _a9789388183437 | ||
082 | _a891.43372 KUM | ||
100 | _aKumar, Raveesh. | ||
245 | _aIshq mein shahar hona | ||
250 | _a1st ed. | ||
260 |
_aNew Delhi _bRajkamal Prakashan _c2015 |
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300 | _a110 p. | ||
520 | _aएक टीवी पत्रकार ने जैसे जिया शहर को, लिखी उसमें पलनेवाले प्रेम की लघु कथाओं की श्रृंखला/ "प्रेम हम सबको बेहतर शहरी बनाता है। हम शहर के हर अनजान कोने का सम्मान करने लगते हैं। उन कोनों में ज़िन्दगी भर देते हैं... आप तभी एक शहर को नए सिरे से खोजते हैं जब प्रेम में होते हैं। और प्रेम में होना सिर्फ़ हाथ थामने का बहाना ढूँढ़ना नहीं होता। दो लोगों के उस स्पेस में बहुत कुछ टकराता रहता है। 'लप्रेक' उसी कशिश और टकराहट की पैदाइश है।" | ||
650 | _aRomance fiction, Hindi | ||
700 | _9Nayak, Vikram (ill.) | ||
942 | _cB |