000 03397nam a22001697a 4500
999 _c346121
_d346121
003 0
005 20220219205746.0
020 _a978-93-90743-21-6
082 _aH 320.092 BHA
100 _aBertwal , Yogambar Singh (ed.)
245 _aVikash purush Narinder Singh Bhandari :
_bShatabdi smriti granth (1920-1986)
260 _aDehradun ,
_bSamay-saakshy
_c2021
300 _a488p.
520 _aविकास पुरुष नरेन्द्र सिंह भण्डारी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की छाप गढ़वाल के जन जीवन में आज दिखाई दे रही है। ऐसा व्यक्ति जो एक गांव में जन्म लेने प्रारम्भिक पढ़ाई करने के बाद गांव से सात दिन में ऋषिकेश पहुँचा और उसने देहरादून, कानपुर, लखनऊ में उच्च शिक्षा सन 1938-45 ग्रहण की। सन 1940 को जीवन के बीज मन्त्र कविता रुप में धारण कर दिये। सन 1946 में विश्वविद्यालय के प्रवक्ता पद को छोड़कर जनता के लिए पहाड़ों के विकास के स्वप्न संजोए पत्रकारिता को माध्यम बना कर राजनीतिक जीवन शुरू किया। निरन्तर चिन्तन मनन व साधना के साथ समाज को जोड़ते हुए बढ़ा और एक मुकाम भी हासिल किया। इस बहुआयामी व्यक्तित्व के जीवन में लोक साहित्य, जन शिक्षा, सड़क, अस्पताल, बागवानी, सिंचित भूमि, भेड़ व पेड़ के प्रारम्भिक लक्ष्य से लेकर उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा के विषय के साथ उत्तराखण्ड के तीन नये जनपदों को सन 1960 में सृजन के बाद सन 2000 में पृथक राज्य के बनने का सपना भी शामिल था। इस सबके पीछे एक कृमिक व त्वरित विकास की अवधारणा जिस व्यक्ति के मन मस्तिष्क में थी उसने उसे साकारण रूप देने हेतु जन जागरण का प्रयास किया। एक सम्पादक के रूप में उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पत्र नया भारत, अपनी बात, हमारी बात, 'बदरी केदार समिति' की त्रैमासिक पत्रिका हिमालय व स्वयं सरहदी का भी सम्पादन किया।
650 _aNarinder Singh Bhandari
942 _cB