| 000 | 01881nam a22001697a 4500 | ||
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| 999 |
_c346112 _d346112 |
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| 003 | 0 | ||
| 005 | 20220218171116.0 | ||
| 020 | _a9789388514606 | ||
| 082 | _aH 491.438 CHA | ||
| 100 | _aChauhan , Maharudrapratapsingh Vikramsingh | ||
| 245 | _aPrashaanik vyavastha aur kaaryaalayee Hindi | ||
| 260 |
_aJaipur , _bParadise publisher _c2021. |
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| 300 | _a256p. | ||
| 520 | _aकार्यालय की अपनी अलग भाषा होती है। बोलचाल की भाषा का कार्यालय में प्रयोग नही कर सकते, यदि ऐसा किया जाए तो कई भ्रांतियां उत्पन्न होंगी। बोलचाल की भाषा अनौपचारिक होती है। औपचारिकता का निर्वाह जितना कार्यालय भाषा में किया जाता है उतना व्यावहारिक जीवन में किसी क्षेत्र में नही देखा जाता है। जैसे परिवार तथा समाज में कुछ स्तर पर हर समय औपचारिकता का निर्वाह आवश्यक है उसी प्रकार प्रशासनिक और कार्यालयी स्तर पर हर समय औपचारिकता का पालन परमावश्यक है। इस प्रकार कार्यालयी हिन्दी अपना अलग महत्त्व रखती है और हिन्दी भाषा के विकास में अपना अपूर्व योगदान भी देती है। | ||
| 650 | _aHindi language--Usage | ||
| 942 | _cB | ||