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082 _aH 304.2
_bKAT
100 _aKatara , Pannalaal
245 _a Manava bhugol
260 _aJaipur ,
_bParadise publisher
_c2021
300 _a266 p.
520 _a मानव ज्ञान एवं मानव विकास में सर्वदा विविध विषयों का सहयोग रहा है एवं इन विषयों को व्याख्यायित करना एक दुष्कर कार्य रहा है। समय व्यतीत होने के साथ ही ज्ञान में वृद्धि एवं संस्कृति के नये आयाम स्थापित होने के फलस्वरूप विषय की व्याख्या भी परिवर्तित होती रहती है। इन्हीं वजहों से किसी विषय की परिभाषा सदा सर्वदा के लिए मान्य नहीं है। मानव भूगोल के अन्तर्गत ग्रामीण बस्तियों के प्रकार तथा प्रतिमान और नगरीय बस्तियों के स्थल, विकास, कार्य तथा नगरों के कार्यात्मक वर्गीकरण का अध्ययन किया जाता है। इसमें मानव की आर्थिक क्रियाओं का क्षेत्रीय वितरण, उद्योग-धन्धे, व्यापार, यातायात तथा सूचना प्रणाली का भी अध्ययन किया जाता है। मानव भूगोल का सम्बन्ध पूरे संसार से है, अर्थात् जैसा है और जैसा उसे बनाये जाने की सम्भावना है। मानव भूगोल, मानवों पर अधिक जोर देता है, अर्थात् वे कहाँ है? पृथ्वी के धरातल पर उनकी अन्तर-क्रियायें कैसी हैं और वे प्राकृतिक भूपटल पर मानव के उपयोग के लिए किस तरह के भूपटल का निर्माण करते हैं? मानव भूगोल में भूगोल के ये समस्त विषय आते हैं जो प्रत्यक्ष रूप से प्राकृतिक पर्यावरण से सम्बन्धित नहीं हैं। मानव भूगोल के अध्ययन के अन्तर्गत मानव के सभी तरह के प्राथमिक, द्वितीयक एवं विकासमान अन्य क्रिया-कलाप शामिल हैं। ऐसे अध्ययन के सन्दर्भ में मानव भूगोल की सीमाएँ अन्य सामाजिक विज्ञानों को छूती हुई या उनमें प्रवेश करती हुई हो सकती हैं। अतएव मानव भूगोल के माध्यम से ही मानव समाज के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, दार्शनिक एवं राजनैतिक मूल्यों को विशेष प्राकृतिक वातावरण में उनके विविध प्रकार से विकास और विकास के नाम पर अनेक प्रकार की प्रकृतिक तथा वातावरण के सन्तुलन को बिगाड़ने वाली क्रियाओं के विरुद्ध चेतावनी मानव समाज को मिल सकती है। अतः मानव भूगोल का अध्ययन एक महत्वपूर्ण विषय है जो कि अन्य सभी मानवीय क्रियाकलाप सम्बन्धी विषयों को समन्वित कर जोड़ने का काम करता है। इसके बिना भूमि, वातावरण एवं मानव समाज के परस्परव्यापी सम्बन्धों, उनके गतिशील स्वरूप एवं इसके विकसित नवीन सम्बन्ध स्वरूपों को समझना कठिन है। इसी तरह अमेरिका जैसे देश में भी जहाँ कि द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत तेजी से मानव भूगोल के अध्ययन के महत्व को नकारा जाने लगा था, वहाँ भी आज मानवीय भूगोल, सांस्कृतिक वातावरण की पृष्ठभूमि एवं प्रादेशिक व्यवहार आदि नामों से मानव तथा वातावरण के सम्बन्धों को गहराई से नहीं तकनीक द्वारा अध्ययन के लिए सदैव इस प्रकार लगातार महत्व मिल रहा है। मानव भूगोल का अध्ययन सभी सामाजिक विज्ञानों के व्यवहार में तर्कसंगतता लाने एवं उनकी पृष्ठभूमि में छिपे समन्वय को समझने तथा मानव एवं पृथ्वी के अमिट सम्बन्धों का सार्थक रूप में जानने के लिए भी विशेष महत्वपूर्ण है। इस विषय को सभी प्रकार के विकास के पश्चात भी बनाये रखना अनिवार्य है, क्योंकि इसमें मानवीय क्रिया-प्रतिक्रिया एवं उनके सदैव गतिशील व संशोधित स्वरूप को समझने की सार्थकता विद्यमान है। पुस्तक लेखन में कई लिखित व अलिखित स्रोतों से मदद ली गई है; में उन सभी विज्ञ लेखकों के प्रति अपना आभार प्रकट करता हूँ। आशा करता हूँ कि पुस्तक पाठकों के लिए उपयोगी होगी।
650 _aHuman geography
942 _cB