000 | 04472nam a2200181Ia 4500 | ||
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999 |
_c28083 _d28083 |
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005 | 20220830150620.0 | ||
008 | 200202s9999 xx 000 0 und d | ||
082 | _aH 491.4307 SHA | ||
100 | _aSharma, Lakshminarayan | ||
245 | 0 | _aHindi sanrachana ka adhyan-adhyay | |
245 | 0 | _nv.1985 | |
260 | _aAgra | ||
260 | _bKendriya Hindi Sansthan | ||
260 | _c1985 | ||
300 | _a250 p. | ||
520 | _aआठ वर्ष तक मातृभाषा हिन्दी तथा साहित्य का अध्यापन करने के पश्चात् परिस्थितिवश 11-12 वर्षों से हिन्दी भाषा को द्वितीय भाषा के रूप में अध्यापन करने का सुअवसर प्राप्त हुआ है। द्वितीय भाषा हिन्दी की कुछ पाठ्य पुस्तकें तथा उस को शिक्षण विधि से संबंधित पुस्तकें लिखने पर भी बहुत दिनों से मुझे इस पुस्तक की कमी विशेष रूप से खटक रही थी केरळ, मिजोरम, मणिपुर, उड़ीसा, गुजरात जर्मन, इसी कोरिया अमेरिका, फिजी आदि देश-प्रदेशों के छात्रों तथा अध्यापकों से हिन्दी भाषा के अध्ययन-अध्यापन के संबंध में विचार-विमर्श करते समय यह पता लगता है कि द्वितीय भाषा हिन्दी के अध्ययन-अध्यापन में सब से बड़ी कठिनाई हिन्दी संरचना को सीखने-सिखाने तथा अभ्यास संबंधी है। हिन्दी-संरचना के विभिन्न पक्षों का अच्छा अभ्यास न होने के कारण हिन्दी में अपने भाव-विचार (बोलकर लिख कर अभिव्यक्त करने में छात्रों / अध्यापकों को काफी परेशानी होती है अभी तक हिन्दी संसार में कोई ऐसी पुस्तक उपलब्ध नहीं थी जिस में हिन्दी संरचना के अध्ययन-अध्यापन पर विस्तार से सोदाहरण सूत्रों के साथ प्रकाश डाला गया हो। प्रस्तुत पुस्तक इसी कमी को दूर करने का लघु प्रयास है। पुस्तक में हिन्दी संरचनाका प्रायोगिक (Applied) पक्ष प्रस्तुत किया गया है, संद्धांतिक नहीं। इस में प्रमुखतः निम्नलिखित पक्षों पर प्रकाश डाला गया है (i) द्वितीय या तृतीय भाषा के रूप में देश-विदेश में हिन्दी का अध्ययन अध्यापन | (ii) उच्च स्तरीय साहित्य की विभिन्न विधाओं का अध्ययन करने से पूर्व द्वितीय भाषा हिन्दी का अध्ययन करने वाले विद्यार्थी के लिए भाषिक योग्यता (ii) द्वितीय भाषा हिन्दी के संरचनागत विविध भाषिक पाठ्यबिन्दु (iv) हिन्दी भाषा के कुछ पाठ्यबिन्दुओं के अर्थ तथा प्रयोगगत संरचनाएं (v) विभिन्न पक्षों से संबंधित भाषिक पाठ्यविदुओं की अध्यापन विधि | ||
942 |
_cB _2ddc |