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100 _aSharma, Prempal
245 0 _aFunda management ka
260 _aNew Delhi
260 _bSamayik Prakashan
260 _c2008
300 _a144p.
365 _b200
365 _dRS
520 _aप्रेमपाल की गहरी सामाजिक संपृक्ति ने व्यंग्य को सामाजिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक चेतना का माध्यम बनाने की पहल की है। एक सच्चा व्यंग्यकार महज हास्य तक ही खुद को सीमित नहीं रखता। इससे आगे बढ़कर वह अंतर्विरोधों और ढकोसलों पर धारदार प्रहार करता है
650 _aIRPS as an author
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