000 02506nam a2200181Ia 4500
999 _c19123
_d19123
005 20220830145727.0
008 200202s9999 xx 000 0 und d
082 _aH 491.4309 KHA
100 _aKhandelwal, Shiv Kumar
245 0 _aBangaru boli ka bhashashastriya adhyayan
245 0 _nc.2
260 _aDelhi
260 _bVani
260 _c1980
300 _a247 p.
520 _aखड़ी बोली हिन्दी के क्रमिक विकास में इसकी जनपदीय बोलियों का बहुत बड़ा योग दान रहा है। दिल्ली के आस-पास की बोलियों और विशेषकर बांगरू ने तो इस विकास में ऐतिहासिक और अप्रतिम भूमिका निभाई है । हिन्दी की मूल प्रकृति को समझने के लिए उसकी उपभाषाओं एवं बोलियों का अध्ययन अत्यन्त आवश्यक है। हिन्दी के विकास में बांगरू के योगदान की दृष्टि से बांगरू का अध्ययन तो और भी आवश्यक है। बांगर के ऐतिहासिक विकास पर भले ही पहले कुछ कार्य हो चुका हो, किन्तु इसके वर्णनात्मक अध्ययन पर, डॉ० शिवकुमार खण्डेलवाल की 'बाँगरू बोली का भाषा - शास्त्रीय 'अध्ययन' नामक प्रस्तुत पुस्तक, पहली और एक मात्र पुस्तक है। इसमें बाँगरू बोली की ध्वनीय, पदीय और वाक्यीय संरचना पर गहराई से विचार किया गया है। साथ ही, बांगरू के प्रत्यय, उपसर्ग, समास तथा शब्द समूह पर भी अपेक्षित विस्तार से चर्चा की गई है। इस तरह बाँगह बोली का यह एक सर्वांगीण अध्ययन है ।
942 _cB
_2ddc