Udas bakhton ka ramoliya
Material type:
- 9789390743513
- UK 891.4301 KAR
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | UK 891.4301 KAR (Browse shelf(Opens below)) | Available | 168348 |
'उदास बखतों का रमोलिया' अनिल कार्की की कविताओं का पहला संचयन है। 2015 में जब यह प्रकाशित हुआ तो हिंदी के लोकवृत्त ने इसे हाथों-हाथ लिया। यह पहला अवसर था जब अनिल कार्की से हिंदी जगत मुकम्मल रूप से परिचित हो रहा था अथवा यूँ कहें हिंदी का लोकवृत्त सुदूर पहाड़ की युवा-कविताओं से परिचित हो रहा था। दरअसल, हिंदी आत्ममोह से ग्रसित अपने नायकों के नायकत्व से प्रभावित रहने वाली भाषा है। हिंदी का लोकवृत्त अपनी पारधीय संवेदनाओं को समय की जरूरतों के अनुरूप ही याद रखती है और फिर उपेक्षित छोड़ देती है। ऐसे में अनिल की कविताओं में मौजूद शीत-ताप हिंदी की वर्जनाओं को तोड़ती है और अपनी एक अलहदा उपस्थिति दर्ज कराती है। इन कविताओं में मौजूद विषय, शब्द-चयन और बुनावट इतनी गझिन और मार्मिक है कि इनका प्रभाव देर तक और दूर तक हमारे साथ बना रहता है। ये कवितायें अपने समय की सच्चाई से आँख मिलाती हैं, उन मूल्यों का सामना करती हैं और उनकी शिनाख्त करती हैं जो समय की विसंगति है।
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