Ādivāsī samāja, sāhitya evaṃ saṃskr̥ti
Material type:
- 9789388514798
- H 305.800954 BAR
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 305.800954 BAR (Browse shelf(Opens below)) | Available | 168006 |
जनजातियों की सांस्कृतिक परम्परा और समाज - संस्कृति पर विचार की एक दिशा यहाँ से भी विचारणीय मानी जा सकती है । मानव विज्ञानियों और समाजशास्त्र के अद्येताओं ने विभिन्न जनजातीय समुदायों का सर्वेक्षण मूलक व्यापक अध्ययन प्रस्तुत किया है और उसके आधार पर विभिन्न जनजातीयों के विषय में सूचनाओं के विशद कोष हमें सुलभ है । पुनः इस अकूत शोध - सामग्री के आधार पर विभिन्न जनजातीय समूहों और समाजों के बारे में निष्कर्षमूलक समानताओं का निर्देश भी किया जा सकता है । लेकिन ऐसे अध्ययन का संकट तब खड़ा हो जाता है जब हम ज्ञान को ज्ञान के लिए नहीं मानकर उसकी सामाजिक संगति की तलाश खोजना शुरू करते हैं । ये सारी सूचनाएं हमें एक अनचिन्हीं अनजानी दुनिया से हमारा साक्षात्कार कराती हैं , किन्तु इस ज्ञान का संयोजन भारतीय समाज में उनके सामंजस्यपूर्ण समायोजन के लिए किस प्रकार किया जाए , यह प्रश्न अन्य स सवालों से अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है । यहाँ समाज - चिंतन की हमारी दृष्टि और उसके कोण की वास्तविक परीक्षा भी शुरू हो जाती है । ठीक यहीं से सूचनाओं का विश्लेष्ण - विवेचना चुनौती बनकर खड़े हो जाते हैं ।
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