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Atit ke bikhre panne

By: Material type: TextTextEdition: 2nd edDescription: 332 pSubject(s): DDC classification:
  • H BAH Y
Summary: अतीत के बिखरे पन्ने' ऐसे एक नागरिक की कहानी है जिसने समाज में सामान्य गृहस्थ जीवन जीते हुए अपने आसपास की दुनिया को समझने, उसे बदलने और अधिक सुंदर बनाने के प्रयोग किए हैं। योगेश चन्द्र बहुगुणा द्वारा लिखित पुस्तक 'अतीत के बिखरे पन्ने' जैसा कि शीर्षक से ही अंदाजा लग जाता है कि इसमें लेखक के आत्मकथात्मक संस्मरणों का संचयन है। इन संस्मरणों में उन्होंने हमें अपने अतीत से परिचय कराया है। इस किताब की रोचकता का अंदाजा इस बात से लग जाता है कि इसकी जितनी भी प्रतियां छपाईं, सब की सब साहित्य प्रेमियों द्वारा हाथों-हाथ ले ली गयी। यह लेखक की कलम की ताकत है, जो अपने अतीत को, उस संघर्ष को, उन क्रियाकलापों को कलमबद्ध कर उनको किताब का आकार देता है और जो साहित्य जगत के पाठकों के समक्ष एक प्रेरक के रूप में एक सशक्त व्यक्तित्व का उदाहरण पेश करता है। इसकी मांग इतनी बढ़ी कि लेखक को' अतीत के बिखरे पन्ने' की दूसरे संस्करण की आवश्यकता पड़ गयी।
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अतीत के बिखरे पन्ने' ऐसे एक नागरिक की कहानी है जिसने समाज में सामान्य गृहस्थ जीवन जीते हुए अपने आसपास की दुनिया को समझने, उसे बदलने और अधिक सुंदर बनाने के प्रयोग किए हैं। योगेश चन्द्र बहुगुणा द्वारा लिखित पुस्तक 'अतीत के बिखरे पन्ने' जैसा कि शीर्षक से ही अंदाजा लग जाता है कि इसमें लेखक के आत्मकथात्मक संस्मरणों का संचयन है। इन संस्मरणों में उन्होंने हमें अपने अतीत से परिचय कराया है। इस किताब की रोचकता का अंदाजा इस बात से लग जाता है कि इसकी जितनी भी प्रतियां छपाईं, सब की सब साहित्य प्रेमियों द्वारा हाथों-हाथ ले ली गयी। यह लेखक की कलम की ताकत है, जो अपने अतीत को, उस संघर्ष को, उन क्रियाकलापों को कलमबद्ध कर उनको किताब का आकार देता है और जो साहित्य जगत के पाठकों के समक्ष एक प्रेरक के रूप में एक सशक्त व्यक्तित्व का उदाहरण पेश करता है। इसकी मांग इतनी बढ़ी कि लेखक को' अतीत के बिखरे पन्ने' की दूसरे संस्करण की आवश्यकता पड़ गयी।

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