Sanskrit shikshan
Material type:
TextPublication details: Chandigarh; Haryana Sahitiya Akademi; 1984Description: 176 pDDC classification: - H 491.207 MIS 4th ed
| Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 491.207 MIS 4th ed (Browse shelf(Opens below)) | Available | 50524 |
राष्ट्रभाषा हिन्दी और प्रादेशिक भाषाओं को विश्वविद्यालयों में सर्वोच्च स्तर तक शिक्षा का माध्यम बनाने के प्रयत्नों की सफलता बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करती है कि इन भाषाओं में ज्ञान-विज्ञान की विविध शाखाओं के पर्याप्त ग्रन्थ उपलब्ध हों।
इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए भारत सरकार के शिक्षा मन्त्रालय द्वारा एक विशेष योजना परिचालित की गई है। इस योजना के अनुसार इन भाषाओं में मौलिक ग्रन्थों की रचना करवाई जा रही है तथा अंग्रेजी आदि भाषाओं में उपलब्ध छात्रोपयोगी साहित्य के अधिकृत अनुवाद भी सुलभ किए जा रहे हैं। इस महत्वपूर्ण कार्य को कम-से-कम समय में सम्पन्न करने के लिए भारत सरकार की प्रेरणा और आर्थिक सहायता से सभी राज्यों में स्वायत्तशासी संस्थाओं की स्थापना की गई है। इन संस्थाओं की स्थापना से भारतीय भाषाओं में पुस्तक-निर्माण के कार्य को बड़ा प्रोत्साहन मिलने लगा है। और आशा की जाती है कि छात्रों को भारतीय भाषाओं में सम्बन्धित विषयों की वे प्रामाणिक पुस्तकें, जो उन्हें अब तक सामान्यतः बाजार में उपलब्ध नहीं थीं, यथाशीघ्र सुलभ होंगी।
हरियाणा में पुस्तक निर्माण का यह कार्य हरियाणा साहित्य अकादमी के माध्यम से करवाया जा रहा है। यह हर्ष का विषय है कि प्रसिद्ध विद्वान् और अध्यापक इस कार्य में अकादमी को अपना हार्दिक सहयोग देने लगे हैं ।
“संस्कृत शिक्षण” नामक प्रस्तुत पुस्तक का अकादमी द्वारा चौथा हिन्दी संस्करण निकाला जा रहा है। इस पुस्तक के लेखक डॉ० प्रभाशंकर मिश्र, हैं इसका सम्पादन-संशोधन एवं सज्जा-संयोजन अकादमी के प्रकाशन अनुभाग ने सम्पन्न किया है।

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