मैं अपनी यात्रा कर ही रहा था, जो वास्तव में कबीर की वजह से हिन्दी का एक सर्वे ही हो चुका है, कि इसी बीच मेरी निगाह हिन्दी के आधुनिक कवि अशोक वाजपेयी के काव्य पर पड़ी। पाठक देखेंगे कि इसमें मैंने अशोक वाजपेयी की एक ही पुस्तक को अपनी आलोचना का आधार बनाया है। आधार इसलिए छोटा नहीं है क्योंकि यह उन की प्रतिनिधि कविताओं का संकलन है