Sampreshanparak hindi bhasha shikshan
- 2nd ed.
- Delhi Prakashan Sansthan 2000
- 224 p.
संप्रेषणपरक व्याकरण संप्रेषण प्रक्रिया में एक समग्र मानव की संकल्पना मानकर चलते हैं जो पूरी सामाजिक-सांस्कृतिक व्यवस्था का अंग होने के साथ-साथ एक बौद्धिक, चिन्तनशील प्राणी भी है। प्रस्तुत पुस्तक में संकलित लेखों में जो हिन्दी भाषा शिक्षण के संदर्भ में लिखे गए, सर्वप्रथम भाषा अध्ययन में एक संप्रेषणप्रकार्यपरक सिद्धांत एवं प्रारूप अपनाने का आग्रह है। यही संप्रेषणपरक व्याकरण संप्रेषणप्रकार्यपरक भाषा शिक्षण का आधार बन सकते हैं। भाषा शिक्षण जैसे सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक अध्ययन क्षेत्र में जिस ज्ञानात्मक आधार भूमि की आवश्यकता है प्रस्तुत पुस्तक में उसे पारिभाषित करने का प्रयास है।