Bhasha vigyan ke sidhanth
- New Delhi Taxashila 1998
- 272 p.
इस पुस्तक में भाषा विज्ञान सम्बन्धी प्रचलित मान्यताओं पर समीक्षात्मक दृष्टि से विचार किया गया है। प्रारंभ में भाषा की परिभाषा देते हुए भाषा के विविध रूपों की चर्चा की गई है। तदुपरांत उसके विज्ञान का सैद्धांतिक स्वरूप स्पष्ट किया गया है जिसमें भाषा विज्ञान के प्रमुख अंगों का परिचय मुख्य है। आधुनिक काल में वर्णनात्मक दृष्टि से भाषा का विश्लेषण विशेष महत्व रखता है। इस दृष्टि की व्याख्या स्वतंत्र अध्याय में की गई है।
वर्तमान शताब्दी में भाषा के अध्ययन की एकाधिक प्रवृत्तियाँ विकसित हुई हैं जिनका संकेत उनके पारिभाषिक शब्दों से मिलता है। पाश्चात्य देशों में तत्सम्बन्धी शोध कार्य के विशेष केन्द्र स्थापित हुए हैं जिनसे भाषा विज्ञान के गतिशील आयामों पर प्रकाश पड़ता है। यहाँ पारिभाषिक शब्दों की व्याख्या के साथ साथ भाषा केन्द्रों का संक्षिप्त परिचय भी संलग्न है जो अध्येता के लिए विशेष उपयोगी होगी । सैद्धांतिक प्रवेशिका होने के कारण पुस्तक के अंत में भाषा विज्ञान का संक्षिप्त इतिहास दिया है जिससे अध्येता इस विषय की पाश्चात्य एवं भारतीय पृष्ठभूमि से परिचित हो सकें। आधुनिक भाषा विज्ञान सैद्धांतिक विवेचन एवं अध्यापन प्रणाली दोनों दृष्टियों से अब पर्याप्त भिन्न हो गया है और प्रत्येक अध्येता को इसका नवीन रूप जानना आवश्यक है।