Shukla, Amarnath

Bhartiya Sanskriti katha kosh - Ƨ ������;New Delhi ������ ��ϳ��;Vidya Prakashan 1997 - 400 p.

हमारे प्राचीन वांगमय हमारी संस्कृति के मूलाधार हैं। भारतीय संस्कृति का निर्माण करने वाले वेदों, शास्त्रों उपनिषदों, पुराणों से संदर्भित ये कथाएं मात्र कथाएं नहीं है, जो केवल मनोरंजन करती हों, ये हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं, हमारे अन्दर मानवीय नैतिक मूल्यों तथा सुसंस्कारों को जन्म देती हैं। ये उपदेश नहीं देतीं, बल्कि हमारे मन मस्तिष्क में सुविचार पैदा करती हैं। सत असत से परिचय कराती हैं।
० मानव जीवन की यात्रा की उपलब्धि के दो अंग हैं-सभ्यता और संस्कृति जिस विचार-व्यवहार को समाज 1 पसन्द करता है वह है सभ्यता संस्कृति इस सबसे ऊपर है। वह देश तथा समाज के संस्कारित होने का मानदण्ड निर्मित करती है।
० विज्ञान बाह्य उपकरण है, ज्ञान अंतःकरण का अलंकरण है। वैज्ञानिक उपलब्धि में विकास और विनाश दोनों सन्निहित होता है। ज्ञान मानव जीवन को ऊर्ध्वगामी बनाता है। मानव मानव में वर्ग भेद मिटाता है। उसके लिए जाति-धर्म की कोई बाधा नहीं। भारतीय वांगमय में जो ज्ञान का भण्डार है, वही इस देश की संस्कृति का मूलाधार है।
० आज भारतीय संस्कृति तथा अस्मिता का जो वट वृक्ष है, ये कथाएं उसकी जड़ें हैं। अपनी जड़ों से जुड़ कर ही हम भारत की सांस्कृतिक धरोहर से परिचित होंगे।
० इनमें देवों, दानयों, ऋषियों, मुनियों, राजाओं की ही नहीं, बल्कि समस्त जड़-चेतन, पशु-पक्षी, नदी-पर्वत से भी संबोधित कथाएं हैं, जो प्राणमय पर्यावरण में हमें समन्वय पूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं।
O काल महाकाल बीतता गया, पर न प्रकृति बदली, न नियम बदले और न ही प्राणियों का स्वभाव बदला। इसलिए ये कथाएं आज भी हमारे लिए वैसी ही प्रासंगिक तथा उपादेय है जैसे वैदिक पौराणिक काल में थीं
० भिन्न-भिन्न संदर्भ ग्रंथों में बिखरी हुई कथाओं को पात्रों के वर्णानुक्रम के अनुसार यह कथा-कोश एक स्तुत्य उपयोगी प्रयास है।

H 398.2 SHU