Bharatiya aryabhasha aur hindi
- New Delhi Rajkamal Prakashan 1981
- 322 p.
"भारतीय आर्यभाषा और हिन्दी' में प्रख्यात भाषाविद् डॉ० सुनोतिकुमार चाटुर्ज्या के वे अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भाषण संकलित हैं, जो उन्होंने १६४० ई० में गुजरात वर्नाक्यूलर सोसायटी के ग्रामन्त्रण पर दिये थे। इन भाषणों के विषय थे : (१) 'भारतवर्ष में आर्यभाषा का विकास' और (२) नूतन आर्य आन्त प्रादेशिक भाषा हिन्दी का विकास' अर्थात् राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी का विकास । जनवरी १९४२ में सुनीति बाबू ने इन भाषणों को संशोधित और परिवर्धित करके पुस्तक रूप में प्रकाशित कराया था। १६६० में दूसरे संस्करण के लिए उन्होंने फिर इसे पूरी तरह संशोधित किया, इसमें कुछ अंश नये जोड़े, और कुछ बातों पर पहले के दृष्टिकोण में संपरिवर्तन किया। इस प्रकार पुस्तक ने जो रूप लिया, वह आज पाठकों के सामने है, और भारत में ही नहीं विदेश में भी यह अपने विषय को एक अत्यन्त प्रामाणिक पुस्तक मानी जाती है । भारत सरकार द्वारा यह पुस्तक पुरस्कृत हो चुकी है।