Verma,Rampal Singh

Shaikshik moolyankan v.1984 - Agra Vinod Pustak Mandir 1984 - 340p.

पृष्ठ संस्करण पाठकों के हाथों में है। इस संस्करण को उल्लेखनीय रूप से संशोधित तथा परिवद्धित कर दिया गया है। अनेक स्थलों पर नवीन विषय-वस्तु दी गई है। तथा पूर्व विषय वस्तु को भी आवश्यक स्थलों पर परिवर्द्धित तथा परिमार्जित कर उसे उपयोगी बनाने के प्रयास किये गये है । अध्याय 13 को परिवर्तित तथा परिमार्जित किया गया है तथा कई नये अध्याय भी जोड़े गये हैं। पुस्तक के द्वितीय खण्ड के संख्यात्मक भाग को और अधिक बोधगम्य तथा स्पष्ट करने के प्रयास किये गये हैं। इस भाग में आवश्यक स्थलों पर उदाहरण तथा स्पष्टीकरण देकर विषय वस्तु को और अधिक बोधगम्य बनाने के प्रयास किये गये हैं।


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