Bharat ka bhasha ka servekshan
- Lucknow Hindi Samiti 1970
- 234 p.
ग्रियर्सन ने अपने सर्वेक्षण के नवम खण्ड में पश्चिमी हिन्दी, पंजाबी, राजस्थानी, गुजराती, भीली और खानदेशी को सम्मिलित किया है। यह बात सर्वसम्मति से मानी गयी है कि इन भाषाओं का परस्पर घनिष्ठ संबंध है। इनमें भी ग्रियर्सन के अनुसार, पश्चिमी हिन्दी से पंजाबी का संबंध सबसे निकट का है। उन्होंने इस खण्ड के एक माग में पश्चिमी हिन्दी और पंजाबी को एक साथ जोड़ दिया है। हम लोग राजस्थानी को पश्चिमी हिन्दी से अधिक संपृक्त मानते चले आ रहे हैं। ग्रियर्सन के मत पर विद्वानों ने विचार नहीं किया। उन्होंने सर्वेक्षण की भूमिका में लिखा है कि बहुत अंशों में हिन्दी से पंजाबी का वही संबन्ध है जो बर्न्स कवि की स्काच भाषा का दक्षिणी अंग्रेजी से है। यह भी याद रहे कि व्यवहारतः वे बिहार अथवा पूर्वी हिन्दी की अपेक्षा पंजाबी को पश्चिमी हिन्दी के अधिक निकट मानते थे। इनसे पूर्व पेरी ने तो पंजाबी को हिन्दी की एक बोली कहा था। आधुनिक खोजों से भी यह तथ्य प्रकट होता है कि हिन्दी के विकास में पंजाबी का योगदान बहुत अधिक है। पंजाबी की 'गुरुवाणी' का अध्ययन करने से अथवा फरीद आदि प्राचीन पंजाबी कवियों की भाषा को देखने से यह नहीं लगता कि हिन्दी और पंजाबी में कोई बहुत बड़ा अन्तर है। इस विषय पर गम्भीर तुलनात्मक अध्ययन की आवश्यकता है। हिन्दी समिति सूचना विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से इस खण्ड के पंजाबी अंश का जो हिन्दी अनुवाद और नागरी लिप्यन्तर हिन्दी जगत् के सामने आ रहा है, उससे इस दिशा में कई लोगों को सोचने की प्रेरणा मिलेगी। प्रस्तुत पुस्तक को पढ़ते समय कुछ बातें ध्यान में रखने की हैं- प्रथम यह कि प्रियर्सन के समय का पंजाब आज का पंजाब नहीं रहा। इस सर्वेक्षण में आये हुए कई जिले मंटगुमरी, सियालकोट, लाहौर, गुजरांवाला, गुजरात - अब पाकिस्तान में हैं। पंजाब अब 'पाँच नदियों का देश' नहीं रहा। रचना (रावी और चनाव के बीच का ) दोबाब अब भारत में नहीं है। इधर पूर्व में अम्बाला जिला हरियाणा में आ गया है विपसंग के समय में दिल्ली भी पंजाब प्रान्त में थी। कुल्लू, कांगड़ा और शिमला हिमाचल प्रदेश के अन्तर्गत है। जम्मू जहाँ पंजाबी की डोगरी बोली बोली जाती है, कश्मीर राज्य के साथ है। इन तथ्यों को दृष्टि में रखते हुए पाठकों को ग्रियर्सन का तैयार किया हुआ मानचित्र सावधानी से देखने की आवश्यकता होगी।