Srivastava, Ratan Kumar

Khwabon Ka Tana-Bana (Ghazal ) - New Delhi Vani Prakashan 2025 - 198 p.

दिल से...यह इन्सानी फ़ितरत ही है कि आदमी के पास जो कुछ होता है या जो कुछ उसे आसानी से हासिल हो जाता है, वह उसकी वाजिब क़द्र नहीं करता। वहीं दूसरी ओर, जिन चीज़ों को पाना थोड़ा मुश्किल होता है या जो चीज़ें उसकी पहुँच से थोड़ी दूर होती हैं, उसी को पाने की लालसा और उधेड़बुन में इन्सान हर घड़ी बेचैन-सा रहता है। मेरे विचार में। बस कुछ ऐसा ही फ़लसफ़ा ज़िन्दगी का भी है कि आदमी जो चाहता है, वह उसे आसानी से हासिल नहीं हो पाता है।... प्रायः यह भी देखा गया है कि जिन अपनों के साथ और सान्निध्य में आदमी अपनी ज़िन्दगी का जो अहम और ख़ूबसूरत पल गुज़ारना चाहता है, उससे भी वह कभी-कभी महरूम रह जाता है।... वर्ष 2009 में, मेरी माँ का अचानक इस दुनिया से अलविदा हो कर जाना भी मेरे लिए कुछ ऐसा ही था।... इसलिए कुछ ख़्वाबों, ख़यालों एवं अनायास के तानों - बानों से, यदि किसी ग़ैर से भी थोड़ी-सी ख़ुशी या थोड़ा-सा प्यार, गाहे-बगाहे मिल जाए तो इसे लेने में परहेज़ नहीं रखना चाहिए। ख़्वाबों में ही सही, ज़िन्दगी थोड़ी-सी जीवन्त और ख़ुशहाल बनी रहती है — रतन कुमार श्रीवास्तव 'रतन'

9789371123785


Ghazal

H 891.431 SRI