Swatantrata sangram mein Jharkhand ke acharchit nayak - New Delhi Rajkamal 2024 - 151p.

स्वतंत्रता संग्राम में झारखंड के अचर्चित नायक’ इतिहास के एक ओझल लेकिन अपरिहार्य पक्ष को सामने लाता है। आजादी की लड़ाई में झारखंड के आदिवासियों ने भी बढ़-चढ़कर शिरकत की थी। औपनिवेशिक पराधीनता के खिलाफ संघर्ष की शुरूआत और अगुआई करने से लेकर बलिदान देने तक, वे कभी पीछे नहीं रहे। लेकिन बिरसा मुंडा और सिदो-कानू जैसे कुछेक नायकों को छोड़ दें तो उनमें से ज्यादातर सेनानियों और शहीदों के बारे में लोग कुछ नहीं जानते। उन्हें इतिहास की मुख्यधारा में कभी जगह नहीं दी गई। बेशक जन-मन के किस्से-कहानियों-गीतों में उनकी स्मृतियाँ बची रहीं लेकिन वह जन-मन प्रायः उनके अपने वंशजों, समुदाय और क्षेत्र तक सीमित था। स्पष्टतः उन पुरखा नायकों को अपने पन्नों पर यथोचित जगह दिए बिना हमारा इतिहास मुकम्मल नहीं हो सकता था। इस सन्दर्भ में यह पुस्तक विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसमें झारखंड के कुछेक आदिवासी शहीद स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनगाथा किंचित पहली बार व्यवस्थित रूप से प्रकाशित हुई है। इन शहीदों-सेनानियों में शामिल हैं—हाथीराम मुंडा, हाड़ी मुंडा, होपन मांझी, बैरू मांझी, अर्जुन मांझी, रूपु मांझी, चम्पाइ मांझी, शाम परगना, भाको मुर्मू, भुगलू मुर्मू और जीतराम बेदिया। इनके साथ ही इस शोधपरक पुस्तक में अन्य कई अज्ञात-अल्पज्ञात शहीदों और स्वतन्त्रता सेनानियों का भी उल्लेख किया गया है। एक अध्याय बिरसा मुंडा के आन्दोलन में शामिल महिलाओं पर केन्द्रित है जिसमें इतिहास की एक दिलचस्प विडम्बना नजर आती है, जब कई महिला स्वतंत्रता सेनानियों का जिक्र हम उनके पतियों के हवाले से पाते हैं। दरअसल कालक्रम में उन महिला सेनानियों का नाम खो चुका है। संक्षेप में, यह पुस्तक इतिहास की कई बन्द खिड़कियों को खोलती है और स्वतंत्रता संघर्ष की उस महान परम्परा और विरासत से परिचित कराती है जो अब तक अँधेरे में पड़ी हुई थी।

9789360860349


Indian History- Jharkhand
Indian Freedom Struggle

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