Verma, Nirmal

Sookha tatha anya kahaniyan - New Delhi Rajkamal 2024 - 246p.

निर्मल वर्मा की ‘सूखा’ कहानी ने अपने समय में कई तरह की बहसों को जन्म दिया था जिनमें एक यह भी थी कि इस कहानी के रूप में निर्मल जी ने एक नई कथा-भूमि, अनुभव के एक नये इलाक़े में प्रवेश किया है। इस संग्रह (प्रथम प्रकाशन 1995) की अन्य कई कहानियों को भी अध्येताओं और पाठकों ने इसी दृष्टि से देखा। ये निर्मल जी की कथा-यात्रा में नये मोड़ का संकेत देती हैं। ‘सूखा’ में मध्यवर्गीय ज़िन्दगी के अंधकार, घुटन और भावनात्मक सूखे को उन्होंने गहरी संवेदनशीलता के साथ अभिव्यक्त किया है। निर्मल जी की कथा संवेदना शुरू से ही विशिष्ट रही है। वे नई कहानी के प्रथम नागरिक हैं। छठे दशक में हिन्दी कहानी को नया रूप देने में उनकी ऐतिहासिक भूमिका रही। कहानियों के सर्वथा नये कथ्य और शिल्प के द्वारा उन्होंने हिन्दी कहानी को एक नई ज़मीन दी, जिसे यथार्थ के सूक्ष्मतर पक्ष को अंकित करने की सामर्थ्य के लिए जाना गया। मानव-सम्बन्धों के कई रूप उन्होंने सबसे पहले रेखांकित किये, जिसके केन्द्र में उनके भीतर निहित ऊब, वितृष्णा और संत्रास था। इसके लिए जिस साहस की ज़रूरत थी, उसे उन्होंने अकसर तीखी आलोचनाओं के सामने भी नहीं छोड़ा। उनकी कहानियों में हम अपना ही जीवन बार-बार घटित होता हुआ देखते हैं और हर बार नये सिरे से जीवन-स्थितियों की पहचान गहरी होती चलती है।

9789360866846


Hindi short stories

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