गणदेवता - कालजयी बांग्ला उपन्यासकार ताराशंकर बन्द्योपाध्याय का उपन्यास 'गणदेवता' संसार के महान उपन्यासों में गणनीय है। इसे भारतीय भाषाओं के शताधिक समीक्षक साहित्यकारों के सहयोग से समग्र भारतीय साहित्य में 'सर्वश्रेष्ठ' के रूप में चुना गया और ज्ञानपीठ पुरस्कार (वर्ष 1966) से सम्मानित किया गया। 'गणदेवता' नये युग के चरण-निक्षेपकाल का गद्यात्मक महाकाव्य है। हृदयग्राही कथा का विस्तार, अविस्मरणीय कथा-शैली के माध्यम से, बंगाल के जिस ग्रामीण अंचल से सम्बद्ध है उसकी गन्ध में समूचे भारत की धरती की महक व्याप्त है।