Dhoomil

Kal sunna mujhe - 4th ed. - New Delhi Vani 2021 - 109p.

धूमिल : कल सुनना मुझे - 'शब्दों को खोलकर रखने वाले' कवि धूमिल का यह कविता संग्रह ‘कल सुनना मुझे’, अपने पाठकों के लिए अब उपलब्ध हैI 'धूमिल' अपने जीवन काल में न निकटता न दूरी केवल एक सहज आदर का रिश्ता सबसे बनाये रहेI शायद यही गुण 'धूमिल की भाषा' में हैI उनके भाषाई सरोकार चौकाने वाले हैंI जीवन के खुरदुरे अनुभवों में पगी उनकी कविताएँ आंचलिक बोध की तीक्ष्णता और आक्रामकता से इतर कुछ लगती हैंI उनका अपना जीवन भी कुछ इसी तरह का था कि उन्होंने कभी ख़ुद पर किसी क़िस्म का दबाव महसूस नहीं कियाI उन्होंने अपनी कविताओं में एक चरित्र गढ़ा, वैसे ही जैसे जीवन को गढ़ा जाता हैI इन कविताओं में धूमिल के व्यक्तित्व का उतावलापन भी दिखाई देता हैI वे समूची सामाजिक व्यवस्था को अस्वीकार करने का दम रखते थे। यही रूप, गुण और गन्ध उनकी कविताओं में भी दिखाई देता हैI

9788170556275


Hindi Literature; Collection of Poems

H 891.43 DHO