यह पुस्तक शहरयार का नया काव्य-संग्रह है। शहरयार की शायरी हिन्दी पाठकों के लिए नई नहीं है। पाठक उकई भाषा,कला,एवं समस्याओं से भली-भाँति परिचित है। इस पुस्तक को पढ़ते हुए पाठकों को एहसास होगा की खुद को दोहरने या किसी भी अवस्था में ठहर जाने की प्रवृति इस शायरी में नहीं है।
9788181433381
Hindi Literature; Ghazal; Naqvi, Mehtab Haidar tr.