आज हमारे शिक्षकों की क्या भूमिका होनी चाहिए? इसमें कोई शक नहीं कि उन्हें निर्धारित अवधि में निश्चित पाठ्यचर्या के अनुसार पढ़ाना पड़ता है। लेकिन छात्रों के विकास में, जो देश की भावी पीढ़ियाँ हैं, उनके योगदान का यह केवल एक पहलू है। अतः अधिक जरूरी बात यह है कि शिक्षक को अपने छात्रों को समाज सेवा का आदर्श, चरित्र, निष्ठा और अनुशासन का महत्त्व, और मानववाद ' का मूल्य समझाने में सफल होना चाहिए, ताकि हमारी शिक्षा-संस्थाएँ न केवल अच्छे छात्रों की, बल्कि अच्छे नागरिकों की भी नर्सरी बन सकें ।