Ghar-aangan-dehri se satta ke galiyaron tak
- New Delhi Prabhat prakashan 2016
- 544 p.
यह आत्मकथा एक मध्य-मध्यम वर्गीय परिवार के साधारण से बालक के जीवन का दस्तावेज है, जो पारिवारिक पृष्ठभूमि, आस-पास की दुनिया उसके परिवेश से जीवन में ‘कुछ’ बनने के लिए प्रोत्साहित होता है।