Bhasha shastra tatha Hindi bhasha ki rooprekha v.1973
- 1st ed.
- Varanasi Vishwavidyalaya Prakashan 1973
- 349 p.
हिन्दी भाषा तथा साहित्य के अध्येताओं के लिये यह मार्गदर्शन का कार्य करेगी। इसमें जहाँ भाषाशास्त्रीय सिद्धान्तों के आधार पर हिन्दी का विश्लेषण किया गया है, वहीं साहित्य के मूल तत्वों का भी क्रमिक विवेचन किया गया है। प्रत्येक अध्याय के अन्त में अध्ययन व विमर्श के लिये पठनीय पुस्तकों की सूची देकर इस विषय के विशिष्ट अध्येताओं के लिये भी उपयोगी बनाने का प्रयत्न किया गया है लेखक की सबसे बड़ी विशेषता है— विषय का सरल तथा संक्षिप्त विवेचन मूल पुस्तकों के उद्धरण न केवल परीक्षार्थियों के लिये, वरन् लेखकों व अनुसंघित्सुओं के लिये भी उपयोगी सिद्ध होंगे। अतएव हिन्दी जगत् की श्री-अभिवृद्धि में प्रस्तुत का भी उचित मूल्यांकन हो सकेगा हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेजी आदि भाषा-प्रेमियों के लिये सर्वथा स्मरणीय एवं संग्रहणीय एक पुस्तक ।