Vijaypal Singh (ed.)

Keshav kosh - 1st ed. - Varansi Nagaripracharini Sabha - v.p.

इस पंथमाला में अब तक प्रेम प्रकाशित हो चुके हैं। पृथ्वीराजराम्रो जैसा वृहद समाने इसी माला में प्रकाशित किया। इसमें से अब निम्नांकित ग्रंथ ही शप्य है
१२. हम्मीर रासो ३. भूषण ग्रंथावली ४ जायसी गंगावली ५. तुलसी ६. कबीर पंथावली ७. सूरसागर, ८. खुसरो की हिंदी कविता ६. प्रेमसागर १० रानी केतकी की कहानी १२. नासिकेतोपाख्यान १२.कीर्तिता, १३. हमीरहरु, १४. नंददास ग्रंथावली १५. रत्नाकर. १६. रीतिकालीन कवियों की प्रेमव्यंजना १० हिंदी टाइपराइटिंग, १५. हिंदी साहित्य का इतिहास १६. पनानंद स्वच्छंद काव्यधारा २० प्रतापनारायण पंथावली, २१. तुलसीदास २२. हिंदी में मुक्तक काव्य का विकास, २३. रमरतन, २४. नाटक के तत्व मनोवैज्ञानिक अध्ययन २५. खालिवारी, २६. हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त खोज विवरण (१९००-१९५५ ई०), २७. तो और पान २५ देव और उनका २२ नाटक और वाद ३०. उम्र और उनका साहित्य, ३१. भोंसला राजदरबार के हिंदी कवि, ३२. आचार्य शुक् के समीक्षासिद्धांत, ३३. कृपाराम और उनका साहित्य, ३४. बिलग्राम के मुसलमान हिंदी कवि, ३५. चिंतामणि, ३६. लक्षदासकृत कृष्णरससागर, ३७. विडंबना, ३८. वेदांत दर्शन, ३६. हिंदी और मराठी के ऐतिहासिक नाटक, ४०. हिंदी और फारसी काव्य का तुलनात्मक अध्ययन, ४१. फेडरिक पिकाट ४२ हित चौरासी और उसकी प्रेमदास कृत ब्रजभाषा टीका, ४३. मधुस्रोत, ४४. भारतेंदु की सड़ी बोली का भाषाविश्लेषण, ४५. क्रोचे का कलादर्शन, ४६. आधुनिक हिंदी काव्य पर अरविंद दर्शन का प्रभाव ४७. घनानंद का काव्यशिल्प, ४८. बीसवीं शताब्दी दो दशक तथा ४६. चरितचर्चा जीवनदर्शन प्रस्तुत कृति इस ग्रंथमाला में प्रकाशित होनेवाला ८६ पुष्प है।

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