इस खण्ड में अवधी के लोक साहित्य पर वृहद् चर्चा की गयी है । लोक साहित्य किसी काल-विशेष का न हो कर युगों से चला आता हुआ, वह साहित्य है जो हमें जन-जीवन के बीच प्राय: मौखिक रूप से ही प्राप्त होता है । ऐसे साहित्य में हमारे समाज के लिए व्यापक सामग्री प्राप्त होती है । मनुष्य कठिन परिश्रम के बाद थोड़ा सा समय अपने मनोरंजन के लिए चाहता है । इसके लिए वह गीत गा कर, कथा सुन कर प्राप्त करता है । क्योंकि ' लोक-साहित्य' मानव के सम्पूर्ण रीति-रिवाज, आचार-विचार और उसके व्यवहार का स्वरूप है जो किसी प्रकार के बन्धन से जकड़ा हुआ नहीं होता । संस्कार-गीतों, श्रम-गीतों, त्योहार-गीतों, जातीय-गीतों, ऋतुओं-गीतों, गाथाओं आदि की विपुल सम्पदा अवधी के पास है ।