डॉ. सूरज 'मुल' की कहानियाँ उनके निजी जीवन व्यावसायिक व्यस्तता तथा सामाजिक दायित्व से सीधा सरोकार रखती हैं। उनकी कहानियों को पढ़कर ऐसा प्रतीत होता है कि अपनी सम्पूर्ण व्यस्तताओं के बीच वह लेखकीय दायित्व के प्रति पूरी तरह सावधान हैं और उनकी संवेदना एक-एक पल का हिसाब रखती है।