Yashpal

Sinhavlokan - New Delhi Lokbharti 2017 - 520 p.

‘सिंहावलोकन' के तीनों खंडों को एक जिल्द में प्रकाशित करने का महत्त्व इस कारण बहुत बढ़ जाता है कि इसमें चौथे खंड का वह अप्रकाशित हिस्सा भी दिया जा रहा है जो उनके जीवन काल में प्रकाशित नहीं हो सका था।

9789386863331

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