Kandwaal, Ashok.

Koi ek khidki tatha anya kahaniyan - 1st ed. - Dehradun Samay Sakshay 2018 - 116 p.

साठ-सत्तर के दशक में धर्मयुग, सारिका, कादम्बिनी, साप्ताहिक हिंदुस्तान जैसी अपने समय की कई महत्वपूर्ण पत्रिकाओं में छपने के बावजूद अशोक कण्डवाल बतौर कथाकार हिंदी साहित्य में एक अज्ञात नाम रहे हैं। उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद उत्तराखण्ड के हिंदी कथाकारों को लेकर कतिपय शोध, रिसर्च पेपर, संकलन, संग्रह आए, पढ़े गए, चर्चाएं हुई पर अशोक कण्डवाल प्रायः अचर्चित रहे। शोधकर्ताओं, अध्येताओं की नजरों में नहीं आ सके।

अशोक कण्डवाल की पहली कहानी 1958 में इक्कीस वर्ष की उम्र में धर्मयुग में प्रकाशित हुई थी। उनके छोटे भाई दिनेश कण्डवार के प्रयासों तथा समय साक्ष्य के सहयोग से उनका यह पहला संग्रह प्रकाशित हुआ है। इसमें प्रकाशित सभी कहानियां साठ और सत्तर के दशक में लिखी गई हैं। इसलिए सभी कहानियों में किशोर और युवा मन की भावनाएं और प्रेम का सूक्ष्म चित्रण देखने को मिलता है। कहानियों में स्त्री-पुरुष संबंधों के विविध पहलुओं और छुपी-अनछुपी परतों तक पहुँचने के सादे और ईमानदार प्रयास दिखते हैं। इन संबंधों से उत्पन्न अंतर्द्वद्व कहानियों को विस्तार देता हैं। अधिकांश कहानियों में नायक अथवा नायिका खुद से टकराते, संघर्ष करते हुए दिखते हैं। उनकी कहानियां स्त्री-पुरुष संबंधों की स्वप्निल उड़ान, वास्तविकताओं और विडम्बनाओं की कहानियां हैं।

9789386452993


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