Mahavir Rawalta ki pratinidhi kahaniyan
- 1st ed.
- Dehradun Samay Sakshay 2017
- 184 p.
ग्राम कथा विश्व के सभी भाषा-साहित्य में सदा से लिखी जाती रही है। ग्राम कथा आंचलिक कथा से भिन्न है ग्राम कथा में व्यापक भाव-भूमि होती है और आंचलिक कहानी में एक अंचल विशेष का परिवेश उसका सत्य चरित्रों के रुप में अंचल विशेष की सम्पूर्ण जनसंख्या भौगोलिक आर्थिक सामाजिक प्रणाली, रीति-नीति तथा विश्व जीवन से अलग करने वाले तत्वों का चित्रण होता है।
इस दृष्टि से महावीर रवांल्टा एक ग्राम-कथाकार माने जा सकते है, महावीर जी से मेरा परिचय दशकों पुराना है। प्रथम बार एक सम्मेलन में मिलना हुआ, उन्होंने अपना सद्द प्रकाशित कहानी-संग्रह भेंट किया। मैं कहानियों को साहित्य की किसी भी अन्य विधा की तुलना में सबसे सशक्त माध्यम मानती हूँ इसलिए हिन्दी की नई-पुरानी सभी प्रकार की कहानियां की नियमित पाठिका हूँ।
महावीर जी की कहानियाँ पढ़ी और प्रतीक्षा करने लगी कि कब भेंट होगी। कुछ माह पश्चात एक संगोष्ठी में फिर मिलना हुआ, मैंने मिलते ही कहा “कहानियां जल्दबाजी में लिखते हो कथा को सशक्त बनाने के लिए पहले मन में धारित करना पड़ता है।" महावीर ने स्वीकारा कि कहानियां एक बैठक में ही लिखी हैं। फिर लम्बा अन्तराल हुआ उनसे मिलना नहीं हो पाया, एक बार वे अपनी पुस्तकें लेकर मिलने आए मैंने सभी कहानियां पढ़ी प्रतीत हुआ कहानियों के सौष्ठव में परिवर्तन आया है। भाव तो पहले ही हृदयग्राही थे।