Lok pakheru
- Dehradun, Samya sakshya 2016.
- 208 p.
बीते सालों में उत्तराखंड की लोक कला, संस्कृति को गहरा नुकसान उठाना पड़ा है। मुस्यानी देवी, मोलूराम, चन्द्र सिंह राही, भानु राम सुकोटी, संस्कृतिकर्मी अनूप साह, जीवन सिंह बिष्ट का जाना सांस्कृतिक रूप से लगातार रिक्त होते उत्तराखंडी लोक संस्कृति के लिए एक गहरा झटका है। साथ ही हिन्दी के कवि वीरेन डंगवाल को भी हम याद करते हैं। यह अंक ऐसे ही तमाम ज्ञात-अज्ञात लोक पहरुओं को समर्पित है।