Manglu jagraya
- Dehradun Samay sakshay 2020
- 72 p.
लोकदेवताओं या स्थानीय देवताओं के जागर गाना उत्तराखण्ड की पर्वतीय संस्कृति का हिस्सा है। यहां के लोकसंगीत में जागर महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। जागर का अर्थ जागरण करना और जागृत करना बताया जाता है। इसके गद्य और पद्य दोनो रूप हैं। इसमें मूल रूप से देवी-देवताओं की गाथाओं का गायन होता है लेकिन सृष्टि की रचना, प्रकृति वर्णन, संध्या वर्णन के साथ देवी-देवताओं से इतर अन्य लौकिक विश्वास, किस्से-कथाएं भी जागरों की विषयवस्तु होती हैं। जागरों की जानकारी रखने वाले और उसे गाने वाले व्यक्ति को जागऱ्या कहा जाता है। जागऱ्या जागरों को गाकर देवताओं को प्रसन्न करता है और उन्हें अवतरित करता है। जागर गायन को देवताओं की पूजा प्रक्रिया माना जाता है। देवताओं के पूजा समारोहों में जागऱ्या कई-कई दिनों तक जागर गाते हैं।