Uttarakhand rajya aandolan ka etihas
- 1st ed.
- Uttarakhand Shakti Prakashan Dehradun 2013
- 263 p.
स्कंद पुराण में हिमालय को पांच भौगोलिक क्षेत्रों में बांटा गया है। नेपाल. मानसखंड, केदारखंड, जालंधर और कश्मीर। उत्तराखंड हिमालय का केंद्र बिंदु है। इसलिए उत्तराखंड के अंदर मानसखंड और केदारखंड दो खंड आते हैं, जबकि हिमाचल प्रदेश, कश्मीर तथा नेपाल के अंदर एक-एक खंड आते हैं। इसीलिए इस भूमि को देवभूमि, तपोभूमि माना गया है। कुबेर की राजधानी अलकापुरी जोशीमठ के ऊपर बताई गई है। बाद में केदारखंड को गढ़वाल तथा मानसखंड को कुमाऊं कहा जाने लगा। इस क्षेत्र को संयुक्त रूप से उत्तराखंड कहा जाता है। भाजपा से जुड़े लोग तथा संगठन इसे उत्तरांचल कहते हैं।
उत्तराखंड मौर्य साम्राज्य का हिस्सा रह चुका है। उत्तराखंड की भूमि पर कुषाण एवं कुणिंदों के शासन के प्रमाण मिले हैं। पौरव बंश के नरेशों का भी छठी शताब्दी में शासन होने के प्रमाण मौजूद हैं। इसी दौर में चीनी यात्री हवैनसांग के भी उत्तराखंड में आने के प्रमाण हैं। सातवीं सदी में यहां कत्यूरी राजवंश का अभ्युदय हुआ। कत्यूरी राजबंश की विशेषता रही कि उसने बारहवीं शताब्दी तक पूरे उत्तराखंड को एक सूत्र में पिरोकर रखा। माना जाता है कि इसी दौर में आदि शंकराचार्य का उत्तराखंड में आगमन हुआ, जब उन्होंने बदरीनाथ में बदरीधाम की स्थापना की। कत्यूरी बंश के पतन के बाद उत्तराखंड छोटे-छोटे रजवाड़ों में बंट गया।